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सुविचार

Writer's picture: pushpavashishtranipushpavashishtrani

कर्म हमारे अच्छे और सच्चे हो क्योंकि प्रभु तक वहीं पहुचते हैं बाकि तो लोगों का नजरिया है किस को कैसा लगा इससे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि रामायण की पंक्ति सभी भावों को चित्रार्थ करती हैं कि "जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत तिन्ह देखी वैसी" जिसका आपके लिए जैसा भाव है वो वैसा ही समझते हैं इसलिए दुनिया क्या कहती हैं लोग क्या कहेंगे इसमें उलझने की बजाए कर्म पथ पर अग्रसर रहे क्योंकि राह में आने वाले कंकड़ पत्थर शूल धूप और छाव यात्रा का हिस्सा मात्र है IIII

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