top of page

सुविचार

Writer's picture: pushpavashishtranipushpavashishtrani

न जन्म हमारे हिसाब से होता है न मृत्यु हमारे हिसाब से फिर हम जीवन ओर मृत्यु के बीच होने वाली घटनाओं और हालातों को अपने मुताबिक न होने पर क्यों हर पल दुख से भरे रहते हैं और एक दुसरे को जिम्मेदार ठहराया करते हैं होता तो वहीं हैं जो ईश्वर द्वारा रचित है हमें तो इस जीवनचर्या को हर परिस्थित में आनंददायक यात्रा मान पूरा करना चाहिए जैसे भगवान ने अपने हर मनुज अवतार में उदाहरण जी कर समझाने का प्रयास किया जैसे कल राजतिलक हैं और आज रात ही वन गमन पथ पर भेज दिया परंतु उसमे भी आनंद रस ही पाया सालों संतान नहीं हुई और जब हुई तो उन्हें भी सारे सुख से वंचित होना पड़ा। हम सभी इस सृष्टि पर अनंत यात्रा पर हैं समान (इच्छा)कम तो सफर का आनंद ज्यादा। जीवन का पहला छोर हाथ में न आखिरी बीच में पता नहीं क्या क्या भर लेना चाहते हैं जो आपको सुकून से रहने भी नहीं देता। मन, कर्म और वचन सिर्फ सिर्फ दया करुणा और प्रेम स्नेह और सेवा आदर भाव में रखें। कुछ पाने की लालसा नहीं छोड़ देने की भावना रखें समर्पण भाव निश्चित रूप से प्रभु से मिलाता है और अंततोगत्वा जहां से आए वहीं तो जाना है 💯

0 views0 comments

Comments


bottom of page